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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 62: विश्वामित्र द्वारा शुनःशेप की रक्षा का सफल प्रयत्न और तपस्या
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श्लोक 4-5h
श्लोक
1.62.4-5h
न मेऽस्ति माता न पिता ज्ञातयो बान्धवा: कुत:॥ ४॥
त्रातुमर्हसि मां सौम्य धर्मेण मुनिपुंगव।
अनुवाद
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सौम्य! हे मुनिवर! मेरी माँ नहीं है, पिता नहीं है, तो भाई-बन्धु कहाँ से हो सकते हैं। (मैं अनाथ हूँ अतः) आप ही धर्म के द्वारा मेरी रक्षा करें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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