श्री राम! जब वे विश्राम करने लगे, उस समय महायशस्वी शुनःशेप ज्येष्ठ पुष्कर में आकर ऋषियों के साथ तपस्या करते हुए अपने मामा विश्वामित्र से मिला। वह अत्यन्त आतुर और दीन हो रहा था। उसके मुख पर विषाद छा गया था। वह भूख-प्यास और परिश्रम से दीन हो मुनि की गोद में गिर पड़ा और इस प्रकार बोला-।