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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग
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श्लोक 26
श्लोक
1.60.26
तेषां तद् वचनं श्रुत्वा देवानां मुनिपुंगव:।
अब्रवीत् सुमहद् वाक्यं कौशिक: सर्वदेवता:॥ २६॥
अनुवाद
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ऋषिवर कौशिक ने देवताओं के शब्दों को सुनकर सभी देवताओं से अत्यंत उच्च वचन बोले- ॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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