श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  1.60.24 
 
 
तत: परमसम्भ्रान्ता: सर्षिसङ्घा: सुरासुरा:।
विश्वामित्रं महात्मानमूचु: सानुनयं वच:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  इससे समस्त देवता, असुर और ऋषि-समुदाय अत्यधिक भयभीत हुए और सभी वहाँ आकर महात्मा विश्वामित्र से विनम्रतापूर्वक बोले-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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