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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग
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श्लोक 19-20h
श्लोक
1.60.19-20h
तच्छ्रुत्वा वचनं तस्य क्रोशमानस्य कौशिक:॥ १९॥
रोषमाहारयत् तीव्रं तिष्ठ तिष्ठेति चाब्रवीत्।
अनुवाद
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चीखते-चिल्लाते हुए त्रिशंकुकी वह करुण पुकार सुनकर कौशिक मुनिको बड़ा क्रोध हुआ। वे त्रिशंकुसे बोले— ‘राजन्! वहीं ठहर जा, वहीं ठहर जा’ (उनके ऐसा कहनेपर त्रिशंकु बीचमें ही लटके रह गये)।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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