श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग  »  श्लोक 18-19h
 
 
श्लोक  1.60.18-19h 
 
 
एवमुक्तो महेन्द्रेण त्रिशङ्कुरपतत् पुन:॥ १८॥
विक्रोशमानस्त्राहीति विश्वामित्रं तपोधनम्।
 
 
अनुवाद
 
  इन्द्र के इतना कहने के बाद राजा त्रिशंकु तपोनिष्ठ विश्वामित्र को पुकारते हुए और "बचाओ-बचाओ" कहते हुए पुनः स्वर्ग से नीचे गिर पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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