वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग
»
श्लोक 18-19h
श्लोक
1.60.18-19h
एवमुक्तो महेन्द्रेण त्रिशङ्कुरपतत् पुन:॥ १८॥
विक्रोशमानस्त्राहीति विश्वामित्रं तपोधनम्।
अनुवाद
play_arrowpause
इन्द्र के इतना कहने के बाद राजा त्रिशंकु तपोनिष्ठ विश्वामित्र को पुकारते हुए और "बचाओ-बचाओ" कहते हुए पुनः स्वर्ग से नीचे गिर पड़े।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.