श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग  »  श्लोक 15-16h
 
 
श्लोक  1.60.15-16h 
 
 
उक्तवाक्ये मुनौ तस्मिन् सशरीरो नरेश्वर:॥ १५॥
दिवं जगाम काकुत्स्थ मुनीनां पश्यतां तदा।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम! विश्वामित्र मुनि के बोलते ही राजा त्रिशंकु उस समय अपने शरीर के साथ ही स्वर्गलोक चले गए, जिसे सब मुनि देख रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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