श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  1.60.12 
 
 
तत: कोपसमाविष्टो विश्वामित्रो महामुनि:।
स्रुवमुद्यम्य सक्रोधस्त्रिशङ्कुमिदमब्रवीत्॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  इसके पश्चात् क्रोध से व्याप्त विश्वामित्र जी, महामुनि ने, स्रुवा को उठाते हुए, क्रोध के साथ राजा त्रिशंकु से इस प्रकार कहा -।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.