श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 60: ऋषियों द्वारा यज्ञ का आरम्भ, त्रिशंकु का सशरीर स्वर्गगमन, इन्द्र द्वारा स्वर्ग से उनके गिराये जाने पर क्षुब्ध हुए विश्वामित्र का नूतन देवसर्ग के लिये उद्योग  »  श्लोक 10-11
 
 
श्लोक  1.60.10-11 
 
 
तत: कालेन महता विश्वामित्रो महातपा:॥ १०॥
चकारावाहनं तत्र भागार्थं सर्वदेवता:।
नाभ्यागमंस्तदा तत्र भागार्थं सर्वदेवता:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् बहुत समय तक निरंतर मंत्रों का जाप करके महान तपस्वी विश्वामित्र ने समस्त देवताओं का आह्वान किया ताकि वे अपने-अपने भाग का ग्रहण करें, परन्तु उस समय वहाँ भाग लेने के लिए सभी देवता नहीं आए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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