कामी वा न कदर्यो वा नृशंस: पुरुष: क्वचित्।
द्रष्टुं शक्यमयोध्यायां नाविद्वान् न च नास्तिक:॥ ८॥
अनुवाद
अयोध्या में कहीं भी ऐसा मनुष्य नहीं था जो कामी (वासना से ग्रस्त), कृपण (दरिद्र या कंजूस), क्रूर (दिल कठोर), मूर्ख (अज्ञान या बुद्धिहीन) या नास्तिक (ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखने वाला) हो।