नाल्पसंनिचय: कश्चिदासीत् तस्मिन् पुरोत्तमे।
कुटुम्बी यो ह्यसिद्धार्थोऽगवाश्वधनधान्यवान्॥ ७॥
अनुवाद
उस श्रेष्ठ नगर में ऐसा कोई परिवार (कुटुम्बी) नहीं था, जिसके पास उत्कृष्ट वस्तुओं का संग्रह सीमित मात्रा में हो, जिसके धर्म, अर्थ और काम धन के साथ सभी पुरुषार्थ सिद्ध न हो गये हों, और जिसके पास गाय-बैल, घोड़े, धन-धान्य आदि का अभाव हो।