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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 6: राजा दशरथ के शासनकाल में अयोध्या और वहाँ के नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन
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श्लोक 16
श्लोक
1.6.16
कश्चिन्नरो वा नारी वा नाश्रीमान् नाप्यरूपवान्।
द्रष्टुं शक्यमयोध्यायां नापि राजन्यभक्तिमान्॥ १६॥
अनुवाद
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अयोध्या नगरी में ऐसा कोई स्त्री या पुरुष नहीं था, जो श्रीहीन, रूपरहित या राजा के प्रति भक्ति रहित हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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