नास्तिको नानृती वापि न कश्चिदबहुश्रुत:।
नासूयको न चाशक्तो नाविद्वान् विद्यते क्वचित्॥ १४॥
अनुवाद
वहाँ कहीं भी कोई ऐसा ब्राह्मण नहीं था जो ईश्वर में आस्था न रखता हो, सत्य का पालन न करता हो, अनेक शास्त्रों का ज्ञान न रखता हो, दूसरों की बुराई न करता हो, साधनों की प्राप्ति में असमर्थ हो, और शिक्षा से रहित हो।