श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 6: राजा दशरथ के शासनकाल में अयोध्या और वहाँ के नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  1.6.14 
 
 
नास्तिको नानृती वापि न कश्चिदबहुश्रुत:।
नासूयको न चाशक्तो नाविद्वान् विद्यते क्वचित्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ कहीं भी कोई ऐसा ब्राह्मण नहीं था जो ईश्वर में आस्था न रखता हो, सत्य का पालन न करता हो, अनेक शास्त्रों का ज्ञान न रखता हो, दूसरों की बुराई न करता हो, साधनों की प्राप्ति में असमर्थ हो, और शिक्षा से रहित हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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