श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 6: राजा दशरथ के शासनकाल में अयोध्या और वहाँ के नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  1.6.10 
 
 
नाकुण्डली नामुकुटी नास्रग्वी नाल्पभोगवान्।
नामृष्टो न नलिप्तांगो नासुगन्धश्च विद्यते॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो कुण्डल, मुकुट और पुष्पहार से रहित हो। किसी के पास भोग-सामग्री की कमी नहीं थी। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो नहा-धोकर साफ-सुथरा न हो, जिसके अंगों में चन्दन का लेप न हो और जो सुगंधित न हो।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.