श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 59: विश्वामित्र का त्रिशंकु का यज्ञ कराने के लिये ऋषिमुनियों को आमन्त्रित करना और उनकी बात न मानने वाले महोदय तथा ऋषिपुत्रों को शाप देकर नष्ट करना  »  श्लोक 7-8h
 
 
श्लोक  1.59.7-8h 
 
 
सर्वान् शिष्यान् समाहूय वाक्यमेतदुवाच ह।
सर्वानृषीन् सवासिष्ठानानयध्वं ममाज्ञया॥ ७॥
सशिष्यान् सुहृदश्चैव सर्त्विज: सुबहुश्रुतान्।
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् समस्त शिष्यों से आदेश दिया - वेद के सभी जानकार ब्राह्माणों एवं उनके चेलों, मित्रों, यज्ञों का संचालन करने वाले लोगों को बुला लाओ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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