श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 59: विश्वामित्र का त्रिशंकु का यज्ञ कराने के लिये ऋषिमुनियों को आमन्त्रित करना और उनकी बात न मानने वाले महोदय तथा ऋषिपुत्रों को शाप देकर नष्ट करना  »  श्लोक 16-17h
 
 
श्लोक  1.59.16-17h 
 
 
तेषां तद् वचनं श्रुत्वा सर्वेषां मुनिपुंगव:॥ १६॥
क्रोधसंरक्तनयन: सरोषमिदमब्रवीत्।
 
 
अनुवाद
 
  उन सबकी वह बात सुनकर मुनिश्रेष्ठ विश्वामित्र के दोनों नेत्र क्रोध से लाल हो गए और वे क्रोधपूर्वक इस प्रकार बोले-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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