श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 59: विश्वामित्र का त्रिशंकु का यज्ञ कराने के लिये ऋषिमुनियों को आमन्त्रित करना और उनकी बात न मानने वाले महोदय तथा ऋषिपुत्रों को शाप देकर नष्ट करना  »  श्लोक 15-16h
 
 
श्लोक  1.59.15-16h 
 
 
एतद् वचननैष्ठुर्यमूचु: संरक्तलोचना:॥ १५॥
वासिष्ठा मुनिशार्दूल सर्वे सहमहोदया:।
 
 
अनुवाद
 
  महर्षि! महाराज महोदय के साथ वसिष्ठ के सारे पुत्रों ने क्रोध से लाल आँखें करके ये कठोर और क्रूरता से भरी बातें बोलीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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