श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 51: शतानन्द को अहल्या के उद्धार का समाचार बताना,शतानन्द द्वारा श्रीराम का अभिनन्दन करते हुए विश्वामित्रजी के पूर्वचरित्र का वर्णन  »  श्लोक 24-25h
 
 
श्लोक  1.51.24-25h 
 
 
देवदानवगन्धर्वै: किंनरैरुपशोभितम्।
प्रशान्तहरिणाकीर्णं द्विजसङ्घनिषेवितम्॥ २४॥
ब्रह्मर्षिगणसंकीर्णं देवर्षिगणसेवितम्।
 
 
अनुवाद
 
  देवता, दानव, गन्धर्व और किन्नर उसकी शोभा बढ़ाते थे। शान्त मृग वहाँ भरे रहते थे। बहुत-से ब्राह्मण, ब्रह्मर्षि और देवर्षि के समुदाय उसका सेवन करते थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.