वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 51: शतानन्द को अहल्या के उद्धार का समाचार बताना,शतानन्द द्वारा श्रीराम का अभिनन्दन करते हुए विश्वामित्रजी के पूर्वचरित्र का वर्णन
»
श्लोक 24-25h
श्लोक
1.51.24-25h
देवदानवगन्धर्वै: किंनरैरुपशोभितम्।
प्रशान्तहरिणाकीर्णं द्विजसङ्घनिषेवितम्॥ २४॥
ब्रह्मर्षिगणसंकीर्णं देवर्षिगणसेवितम्।
अनुवाद
play_arrowpause
देवता, दानव, गन्धर्व और किन्नर उसकी शोभा बढ़ाते थे। शान्त मृग वहाँ भरे रहते थे। बहुत-से ब्राह्मण, ब्रह्मर्षि और देवर्षि के समुदाय उसका सेवन करते थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.