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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 51: शतानन्द को अहल्या के उद्धार का समाचार बताना,शतानन्द द्वारा श्रीराम का अभिनन्दन करते हुए विश्वामित्रजी के पूर्वचरित्र का वर्णन
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श्लोक 11
श्लोक
1.51.11
नातिक्रान्तं मुनिश्रेष्ठ यत्कर्तव्यं कृतं मया।
संगता मुनिना पत्नी भार्गवेणेव रेणुका॥ ११॥
अनुवाद
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मुनिवर! मैंने कोई मर्यादा नहीं लांघी है। अपना जो कर्तव्य था, उसे मैंने पूरा किया है। महर्षि गौतम से उनकी पत्नी अहिल्या उसी प्रकार मिल गई हैं, जैसे भृगुवंशी जमदग्नि से उनकी पत्नी रेणुका मिली थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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