वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 43: भगीरथ की तपस्या, भगवान् शङ्कर का गंगा को अपने सिर पर धारण करना, भगीरथ के पितरों का उद्धार
»
श्लोक 2
श्लोक
1.43.2
अथ संवत्सरे पूर्णे सर्वलोकनमस्कृत:।
उमापति: पशुपती राजानमिदमब्रवीत्॥ २॥
अनुवाद
play_arrowpause
संवत्सर पूर्ण होने पर सभी लोकों द्वारा नमन किये जाने वाले उमा के पति भगवान पशुपति प्रकट हुए और राजा से इस प्रकार बोले।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.