श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 43: भगीरथ की तपस्या, भगवान् शङ्कर का गंगा को अपने सिर पर धारण करना, भगीरथ के पितरों का उद्धार  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  1.43.2 
 
 
अथ संवत्सरे पूर्णे सर्वलोकनमस्कृत:।
उमापति: पशुपती राजानमिदमब्रवीत्॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  संवत्सर पूर्ण होने पर सभी लोकों द्वारा नमन किये जाने वाले उमा के पति भगवान पशुपति प्रकट हुए और राजा से इस प्रकार बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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