श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 43: भगीरथ की तपस्या, भगवान् शङ्कर का गंगा को अपने सिर पर धारण करना, भगीरथ के पितरों का उद्धार  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  1.43.11 
 
 
विससर्ज ततो गंगां हरो बिन्दुसर: प्रति।
तस्यां विसृज्यमानायां सप्त स्रोतांसि जज्ञिरे॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  बिन्दु सरोवर में विसर्जित करने पर, गंगा में सात धाराएँ प्रकट हो गईं। तब महादेवजी ने गंगाजी को बिन्दुसरोवर में विसर्जित किया जहाँ से सात धाराएँ उत्पन्न हो गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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