तामपश्यत् पुनस्तत्र तप: परममास्थित:।
स तेन तोषितश्चासीदत्यन्तं रघुनन्दन॥ १०॥
अनुवाद
रघुनन्दन! भगीरथ ने देखा कि गंगा जी भगवान् शङ्कर के जटाओं के बीच गुम हो गयी हैं। तब वे पुनः वहाँ पर भारी तपस्या करने लगे। अपने परम तप की वजह से उन्होंने भगवान् शिव को बहुत प्रसन्न कर लिया।