परिक्रान्ता मही सर्वा सत्त्ववन्तश्च सूदिता:।
देवदानवरक्षांसि पिशाचोरगपन्नगा:॥ ८॥
न च पश्यामहेऽश्वं ते अश्वहर्तारमेव च।
किं करिष्याम भद्रं ते बुद्धिरत्र विचार्यताम्॥ ९॥
अनुवाद
पिताजी! हमने पूरी पृथ्वी की परिक्रमा कर ली। देवता, दानव, राक्षस, पिशाच, नाग जैसे सभी बलवान प्राणियों को मौत के घाट उतार दिया। फिर भी हमें कहीं भी न तो घोड़ा मिला और न ही घोड़े को चुराने वाला ही। अब क्या करें हम? आप ही कोई उपाय सोचिए।