श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 40: सगर के पुत्रों का पृथ्वी को खोदते हुए कपिलजी के पास पहुँचना और उनके रोष से जलकर भस्म होना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  1.40.5 
 
 
पितामहवच: श्रुत्वा त्रयस्त्रिंशदरिंदमा:।
देवा: परमसंहृष्टा: पुनर्जग्मुर्यथागतम्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  पितामह ब्रह्मा के कथन को सुनकर शत्रुओं का दमन करने वाले तैंतीस देवता अत्यंत हर्षित होकर जहाँ से आए थे, वहीं लौट गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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