पृथ्वी का यह भेदन सदियों पुराना है और हर कल्प में होता ही है। वह समुद्र ही पार्थिव भाग को भेदकर ऊपर उठने वाला है, यह बात श्रुतियों और स्मृतियों में वर्णित सागर आदि के संदर्भ से स्पष्ट है। इसी प्रकार, दूरदर्शी पुरुषों ने सगर के पुत्रों के भावी विनाश को भी पहले ही देख लिया है, इसलिए इस बारे में शोक करना व्यर्थ है।