श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 40: सगर के पुत्रों का पृथ्वी को खोदते हुए कपिलजी के पास पहुँचना और उनके रोष से जलकर भस्म होना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.40.22 
 
 
उत्तरस्यां रघुश्रेष्ठ ददृशुर्हिमपाण्डुरम्।
भद्रं भद्रेण वपुषा धारयन्तं महीमिमाम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुवंश के श्रेष्ठ! उत्तर दिशा में उन्हें हिम के समान श्वेतभद्र नामक दिग्गज दिखाई दिया, जो अपने पवित्र शरीर से इस पृथ्वी को धारण कर रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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