श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 40: सगर के पुत्रों का पृथ्वी को खोदते हुए कपिलजी के पास पहुँचना और उनके रोष से जलकर भस्म होना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  1.40.17 
 
 
तत: पूर्वां दिशं भित्त्वा दक्षिणां बिभिदु: पुन:।
दक्षिणस्यामपि दिशि ददृशुस्ते महागजम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर उन्होंने पूर्व दिशा को भेद कर फिर से दक्षिण दिशा की भूमि को खोदना आरंभ किया। दक्षिण दिशा में भी उन्होंने एक महान गजेंद्र को देखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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