वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 40: सगर के पुत्रों का पृथ्वी को खोदते हुए कपिलजी के पास पहुँचना और उनके रोष से जलकर भस्म होना
»
श्लोक 15
श्लोक
1.40.15
यदा पर्वणि काकुत्स्थ विश्रमार्थं महागज:।
खेदाच्चालयते शीर्षं भूमिकम्पस्तदा भवेत्॥ १५॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे काकुत्स्थ! जब विशाल हाथी थकान से विश्राम करने के लिए इधर-उधर अपना मस्तक घुमाता था, तब भूकंप होने लगता था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.