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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 40: सगर के पुत्रों का पृथ्वी को खोदते हुए कपिलजी के पास पहुँचना और उनके रोष से जलकर भस्म होना
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श्लोक 14
श्लोक
1.40.14
सपर्वतवनां कृत्स्नां पृथिवीं रघुनन्दन।
धारयामास शिरसा विरूपाक्षो महागज:॥ १४॥
अनुवाद
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रघुनंदन! उस महान् गजराज विरूपाक्ष ने अपने सिर पर सारे पहाड़ों और जंगलों सहित पूरी पृथ्वी को धारण कर रखा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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