श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 4: महर्षि वाल्मीकि का चौबीस हजार श्लोकों से युक्त रामायण का निर्माण करना , लव-कुश का अयोध्या में रामायण गान सुनाना  »  श्लोक 22-23
 
 
श्लोक  1.4.22-23 
 
 
कश्चित् कमण्डलुं प्रादान्मौञ्जीमन्यो महामुनि:।
बृसीमन्यस्तदा प्रादात् कौपीनमपरो मुनि:॥ २२॥
ताभ्यां ददौ तदा हृष्ट: कुठारमपरो मुनि:।
काषायमपरो वस्त्रं चीरमन्यो ददौ मुनि:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  किसी एक मुनि ने उन्हें कमण्डलु दिया, तो दूसरे महामुनि ने उन्हें मुंज की मेखला भेंट की। तीसरे मुनि ने उन्हें आसन और चौथे मुनि ने उन्हें कौपीन प्रदान किया। इसके बाद किसी दूसरे मुनि ने प्रसन्न होकर उन बालकों के लिए कुठार समर्पित कर दिया। एक अन्य मुनि ने उन्हें गेरुआ वस्त्र दिया तो किसी अन्य मुनि ने चीर भेंट किया।॥ २२—२३॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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