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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 37: गंगा से कार्तिकेय की उत्पत्ति का प्रसंग
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श्लोक 2
श्लोक
1.37.2
ततोऽब्रुवन् सुरा: सर्वे भगवन्तं पितामहम्।
प्रणिपत्य सुराराम सेन्द्रा: साग्निपुरोगमा:॥ २॥
अनुवाद
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सुराओं के आराध्य श्री राम! इन्द्र, अग्नि सहित सभी सुराओं ने भगवान ब्रह्मा को प्रणाम करके इस प्रकार निवेदन किया—।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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