बेटियों! क्षमाशील महापुरुष ही जिसे कर सकते हैं, वही क्षमा तुमने भी की है। यह तुम्हारे द्वारा महान कार्य सम्पन्न हुआ। तुम सभी ने एकमत होकर जो मेरे कुल की मर्यादा पर ही दृष्टि रखी है और काम भाव को अपने मन में स्थान नहीं दिया है—यह भी तुमने बहुत बड़ा काम किया है।