श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 31: श्रीराम, लक्ष्मण तथा ऋषियों सहित विश्वामित्र का मिथिला को प्रस्थान तथा मार्ग में संध्या के समय शोणभद्र तट पर विश्राम  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  1.31.6 
 
 
मैथिलस्य नरश्रेष्ठ जनकस्य भविष्यति।
यज्ञ: परमधर्मिष्ठस्तत्र यास्यामहे वयम्॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  मैथिल नरश्रेष्ठ जनक के यज्ञ का समय आ गया है, वह परम धर्ममय यज्ञ है। उसमें हम सभी जाएँगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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