श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 31: श्रीराम, लक्ष्मण तथा ऋषियों सहित विश्वामित्र का मिथिला को प्रस्थान तथा मार्ग में संध्या के समय शोणभद्र तट पर विश्राम  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  1.31.5 
 
 
एवमुक्ते तयोर्वाक्ये सर्व एव महर्षय:।
विश्वामित्रं पुरस्कृत्य रामं वचनमब्रुवन्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  उन दोनों के ऐसे कहने पर सभी ऋषियों ने विश्वामित्र जी को आगे करके श्री रामचंद्र जी से कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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