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श्लोक 1.31.24  |
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नोदितो रामवाक्येन कथयामास सुव्रत:।
तस्य देशस्य निखिलमृषिमध्ये महातपा:॥ २४॥ |
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अनुवाद |
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रामचन्द्रजी के प्रश्न से प्रेरित होकर महातपस्वी विश्वामित्र ने ऋषियों के बीच उस देश का विस्तृत परिचय देना शुरू किया। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये बालकाण्डे एकत्रिंश: सर्ग:॥ ३१॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके बालकाण्डमें इकतीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३१॥ |
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