श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा तथा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  1.30.5 
 
 
तौ तु तद्वचनं श्रुत्वा राजपुत्रौ यशस्विनौ।
अनिद्रं षडहोरात्रं तपोवनमरक्षताम्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  मुनियों के उस वचन को सुनकर वे दोनों यशस्वी राजकुमार छह दिन और छह रात तक बिना सोए उस तपोवन की रक्षा करते रहे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.