वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 1: बाल काण्ड
»
सर्ग 30: श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा तथा राक्षसों का संहार
»
श्लोक 21
श्लोक
1.30.21
इमानपि वधिष्यामि निर्घृणान् दुष्टचारिण:।
राक्षसान् पापकर्मस्थान् यज्ञघ्नान् रुधिराशनान्॥ २१॥
अनुवाद
play_arrowpause
‘अब यज्ञमें विघ्न डालनेवाले इन दूसरे निर्दय, दुराचारी, पापकर्मी एवं रक्तभोजी राक्षसोंको भी मार गिराता हूँ’॥ २१॥
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.