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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 20
श्लोक
1.30.20
पश्य लक्ष्मण शीतेषुं मानवं मनुसंहितम्।
मोहयित्वा नयत्येनं न च प्राणैर्वियुज्यते॥ २०॥
अनुवाद
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देखो लक्ष्मण, मनु द्वारा प्रयुक्त शीतेषु नामक मानवास्त्र इस राक्षस को मोहित कर रहा है और उसे दूर ले जा रहा है, परंतु उसके प्राण नहीं ले रहा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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