श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 30: श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा तथा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  1.30.2 
 
 
भगवञ्छ्रोतुमिच्छावो यस्मिन् काले निशाचरौ।
संरक्षणीयौ तौ ब्रूहि नातिवर्तेत तत्क्षणम्॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  भक्त: भगवन्! अब हम दोनों यह जानना चाहते हैं कि किस समय उन दोनों राक्षसों का आक्रमण होता है? क्योंकि हमें उन दोनों को यज्ञ स्थल में आने से रोकना है, कहीं ऐसा न हो कि असावधानी में ही वह समय हाथ से निकल जाए; इसलिए वह समय लिये हमें बता दीजिये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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