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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 3: वाल्मीकि मुनि द्वारा रामायण काव्य में निबद्ध विषयों का संक्षेप से उल्लेख
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श्लोक 6
श्लोक
1.3.6
तत: पश्यति धर्मात्मा तत् सर्वं योगमास्थित:।
पुरा यत् तत्र निर्वृत्तं पाणावामलकं यथा॥ ६॥
अनुवाद
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धर्मी महापुरुष ने योग का सहारा लेकर उस समय की सारी घटनाओं को देखा, जैसे कोई अपने हाथ में रखे आँवले को देखता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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