श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 3: वाल्मीकि मुनि द्वारा रामायण काव्य में निबद्ध विषयों का संक्षेप से उल्लेख  »  श्लोक 3-4
 
 
श्लोक  1.3.3-4 
 
 
रामलक्ष्मणसीताभी राज्ञा दशरथेन च।
सभार्येण सराष्ट्रेण यत् प्राप्तं तत्र तत्त्वत:॥ ३॥
हसितं भाषितं चैव गतिर्यावच्च चेष्टितम्।
तत् सर्वं धर्मवीर्येण यथावत् सम्प्रपश्यति॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  महर्षि ने योग धर्म की शक्ति से श्रीराम, लक्ष्मण, सीता तथा राजा दशरथ से सम्बन्धित सभी बातों का भलीभाँति साक्षात्कार किया। उनके हँसना, बोलना, चलना और राज्यपालन आदि सभी चेष्टाओं को उन्होंने अपने ज्ञान और योग्यता के बल पर जाना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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