श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 28: विश्वामित्र का श्रीराम को अस्त्रों की संहारविधि बताना,अस्त्रों का उपदेश करना, श्रीराम का आश्रम एवं यज्ञस्थान के विषय में प्रश्न  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  1.28.19 
 
 
नि:सृता:स्मो मुनिश्रेष्ठ कान्ताराद् रोमहर्षणात्।
अनया त्ववगच्छामि देशस्य सुखवत्तया॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  मुनिश्रेष्ठ! इस प्रदेश की इस सुखमयी स्थिति से यह प्रतीत हो रहा है कि हम अब रोमाञ्चक एवं दुर्गम ताटका वन से बाहर निकल आये हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.