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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 28: विश्वामित्र का श्रीराम को अस्त्रों की संहारविधि बताना,अस्त्रों का उपदेश करना, श्रीराम का आश्रम एवं यज्ञस्थान के विषय में प्रश्न
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श्लोक 18
श्लोक
1.28.18
दर्शनीयं मृगाकीर्णं मनोहरमतीव च।
नानाप्रकारै: शकुनैर्वल्गुभाषैरलंकृतम्॥ १८॥
अनुवाद
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यह दर्शनीय स्थान मृगों से भरा हुआ है और इसलिए बहुत ही मनोरम दिखाई देता है। विभिन्न प्रकार के पक्षी अपनी मधुर आवाज़ से इस स्थान की शोभा बढ़ाते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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