श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 28: विश्वामित्र का श्रीराम को अस्त्रों की संहारविधि बताना,अस्त्रों का उपदेश करना, श्रीराम का आश्रम एवं यज्ञस्थान के विषय में प्रश्न  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  1.28.15 
 
 
अथ ते राममामन्त्र्य कृत्वा चापि प्रदक्षिणम्।
एवमस्त्विति काकुत्स्थमुक्त्वा जग्मुर्यथागतम्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात्, उन्होंने श्रीराम की परिक्रमा की और उनसे विदा ली। उन्होंने श्रीराम से आज्ञा ली और उनके अनुसार कार्य करने का वचन दिया। फिर, वे जिस तरह से आए थे, उसी तरह से चले गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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