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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 1: बाल काण्ड
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सर्ग 28: विश्वामित्र का श्रीराम को अस्त्रों की संहारविधि बताना,अस्त्रों का उपदेश करना, श्रीराम का आश्रम एवं यज्ञस्थान के विषय में प्रश्न
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श्लोक 14
श्लोक
1.28.14
गम्यतामिति तानाह यथेष्टं रघुनन्दन:।
मानसा: कार्यकालेषु साहाय्यं मे करिष्यथ॥ १४॥
अनुवाद
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रघुनंदन राम ने उनसे कहा, "इस समय तो आप लोग जहाँ जाना चाहें वहाँ जा सकते हैं। किंतु ज़रूरत पड़ने पर मेरे मन में स्थित होकर सदा मेरी सहायता करते रहें।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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