श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 28: विश्वामित्र का श्रीराम को अस्त्रों की संहारविधि बताना,अस्त्रों का उपदेश करना, श्रीराम का आश्रम एवं यज्ञस्थान के विषय में प्रश्न  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  1.28.11 
 
 
बाढमित्येव काकुत्स्थ: प्रहृष्टेनान्तरात्मना।
दिव्यभास्वरदेहाश्च मूर्तिमन्त: सुखप्रदा:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामचन्द्रजी ने आनंदित मन से उन दिव्य अस्त्रों को स्वीकार किया। उन अस्त्रों के शरीर दिव्य प्रकाश से जगमगा रहे थे। वे अस्त्र विश्व को सुख देने वाले थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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