वे दोनों भाई श्रीराम और लक्ष्मण वस्त्रों और आभूषणों से सजे हुए थे। उनके हाथों में धनुष थे और उँगलियों में गोहटी के चमड़े से बने दस्ताने थे। उनकी तलवारें कमर से लटकी हुई थीं। उन दोनों भाइयों की काया अत्यंत मनमोहक थी। वे महातेजस्वी और श्रेष्ठ वीर अपना प्रभाव चारों ओर फैलाते हुए कुशिक पुत्र विश्वामित्र के पीछे चल रहे थे। उस समय वे दोनों भाई एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। वे ठीक ऐसे ही दिख रहे थे जैसे स्थाणु देव के पीछे चलने वाले दो अग्नि कुमार, स्कंद और विशाख।