श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 22: दशरथ का स्वस्तिवाचन पूर्वक राम-लक्ष्मण को मुनि के साथ भेजना, विश्वामित्र से बला और अतिबला नामक विद्या की प्राप्ति  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  1.22.23 
 
 
गुरुकार्याणि सर्वाणि नियुज्य कुशिकात्मजे।
ऊषुस्तां रजनीं तत्र सरय्वां ससुखं त्रय:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम ने विशेष पूजा और सेवा करके विश्वामित्रजी को हर्षित किया। उसके बाद, वे तीनों रात में सरयू नदी के किनारे सुखपूर्वक रहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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