श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 22: दशरथ का स्वस्तिवाचन पूर्वक राम-लक्ष्मण को मुनि के साथ भेजना, विश्वामित्र से बला और अतिबला नामक विद्या की प्राप्ति  »  श्लोक 18-19h
 
 
श्लोक  1.22.18-19h 
 
 
क्षुत्पिपासे न ते राम भविष्येते नरोत्तम।
बलामतिबलां चैव पठतस्तात राघव॥ १८॥
गृहाण सर्वलोकस्य गुप्तये रघुनन्दन।
 
 
अनुवाद
 
  ‘नरश्रेष्ठ श्रीराम! तात रघुनन्दन! बला और अतिबला के अभ्यास से न केवल तुम बलशाली बनोगे, बल्कि तुम्हें भूख-प्यास का भी कष्ट नहीं होगा; अतः रघुकुल को आनन्दित करने वाले राम! तुम सम्पूर्ण जगत् की रक्षा के लिये इन दोनों विद्याओं को ग्रहण करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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