श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 1: बाल काण्ड  »  सर्ग 18: श्रीराम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के जन्म, संस्कार, शीलस्वभाव एवं सद्गुण, राजा के दरबार में विश्वामित्र का आगमन और उनका सत्कार  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  1.18.7 
 
 
एवं विसृज्य तान् सर्वान् राजा सम्पूर्णमानस:।
उवास सुखितस्तत्र पुत्रोत्पत्तिं विचिन्तयन्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार समस्त अतिथियों को विदा करने के पश्चात राजा दशरथ संतुष्ट मन से अपने पुत्रों की उत्पत्ति की प्रतीक्षा करते हुए बहुत सुख और आनंद के साथ वहाँ रहने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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